Wednesday, June 20, 2018

मैंने उसे चोदा जिसकी उम्मीद नहीं थी

नीचे भाभी और बाकी की औरतें बैठी गीत गा रही थीं. मैं दादी के पास बैठा था. तभी मेरी नजर भाभी पर गई. वो बहुत सुन्दर लग रही थीं. मैने सोचा कि मेरे लंड को चूत चाहिए तो भाभी को पटाने की कोशिश करता हूँ. पट गई तो खूब प्यार देगी…

हैलो दोस्तों, मैं राज रोहतक से हाजिर हूँ अपनी एक और कहानी लेकर. ये कहानी मेरे एक दोस्त की है. जिसे मैं उसी की जुबानी में पेश कर रहा हूँ. आप इसे पढ़िए और आन्नद लीजिए.

दोस्तों, मेरा नाम सोनू (काल्पनिक) है. आप सब भी जानते है कि पहचान छिपाना कितना आवश्यक है, लेकिन ये तो अच्छा है कि हम यहां बेझिझक अपनी बात शेयर कर सकते हैं.

मित्रों, कहानी शुरू करने से पहले मैं आप सब को अपने बारे में कुछ बता दूं. मैं एक गांव का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 27 साल है. मेरे परिवार में माँ – बाप, दो भाई और एक बहन है. मेरे पिताजी एक किसान है और हमारे पास बस दो एकड़ जमीन है. उसी से हमारा गुजारा होता था. अब तो मेरे भाई को सरकारी नौकरी मिल गई तो सब काम ठीक होने लगे हैं.

मै आपको बता दूं कि अपने भाई – बहनों में मैं सबसे छोटा हूँ और अब जो आपको घटना बताने जा रहा हूँ, ये लगभग 3 वर्ष पुरानी है. अब आप लोग मेरी आपबीती का आन्नद लिजिए.

ये घटना मेरे पडो़स की एक औरत की है. जिसे हम भाभी कहते हैं. वह परिवार काफी बड़ा है. मतलब उसमें चार भाई हैं, जो अभी भी एक साथ रहते हैं. उनमें से तीन की शादी हो चुकी है और एक जो सबसे छोटा है, वो कुंवारा था और दिल्ली में पढ़ता था.

ये घटना मेरी और पडो़स की तीसरे नम्बर की भाभी के बीच की है. भाभी के घर में एक लड़की थी. वह उसके जेठ की लड़की थी. उसका नाम नीलू(काल्पनिक) था. अब तो उसकी भी शादी हो चुकी है, लेकिन उस दौरान हमारे घर में मेरी बहन की शादी की तैयारी चल रही थी.

नीलू मेरी बहन की दोस्त थी तो वो हमारे घर अक्सर आती रहती थी. लेकिन मैंने कभी नीलू के बारे में कुछ गलत नहीं सोचा था.

मैं बस पढता था और अन्तर्वासना की कहानी पढ़ कर मुठ भी बहुत मारता था. क्योंकि मेरी उम्र 24 की हो गई थी. इसके बाद भी मुझे चुत नहीं मिली थी. इसको मेरी किस्मत कहो या मेरी शर्म का कारण. क्योंकि जब आस – पास की कोई भाभी मजाक करती तो मैं शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाता था.

बहन की शादी की तैयारी चल रही थी तो एक दिन माँ – पिताजी और भाई – बहन सभी लोग शादी का सामान लेने रोहतक चले गए और मुझसे कहा कि घर पर रहना और भैसों को समय पर पानी पिलाकर अन्दर बांध देना. इतना कह कर घर वाले सभी रोहतक चले गए.

उनके जाने के थोड़ी देर बाद मैंने सोचा कि आज नीचे के बाल साफ कर लेता हूँ और मुठ भी मार लूंगा तो मैंने अपने घर के सभी दरवाजे बन्द किए, लेकिन मेन गेट को बन्द करना ही भूल गया.

फिर मैं आगे वाले कमरे में गया और रेजर तथा एक प्लासटिक के बर्तन में पानी लेकर लन्ड के बाल साफ करने लगा. बाल बनाने के बाद मैं मुठ भी मारने लगा. तभी नीलू मेरी दीदी का नाम लेकर बाहर से ही आवाज देने लगी. उसकी आवाज सुन कर भी मैं चुप रहा कि जवाब न मिलने पर चली जाएगी और मैं मुठ मारता रहा.

तभी मेरी नजर दरवाजे की दरार पर गई. मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है. यह देखते ही मेरा हाथ मुठ मारते – मारते वहीं रुक गया. फिर मैं जल्दी से उठा और अपनी अंडर वियर ऊपर कर ली. अब डर की वजह से मेरा लंड भी बैठ गया था. फिर मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि नीलू घर से बाहर की तरफ जा रही है.

यह देख कर मैं डर के मारे पसीना – पसीना हो गया. मुझे लगा अगर उसने किसी को बताया तो बहुत बेइज्जती होगी. फिर मैं पूरे दिन यही सोचता रहा कि मैं मेन गेट बन्द करना कैसे भूल गया. अब अगर उसने बताया तो क्या होगा!

शाम को घर वाले आए तो उनको देख कर नीलू भी आ गई. मैं डर के मारे इधर-उधर जाने लगा वो मुझे घूर कर देख रही थी. थोड़ी देर बाद फिर वो चली गई.

अब जब भी वो आती मैं वहां से हट जाता था. अब बहन की शादी में एक सप्ताह ही रह गया. हमारे गाँव में औरतों का गीत का कार्यक्रम होता है तो हमारे घर में भी अब एक सप्ताह शाम को यही कार्यक्रम होना था.

अब मैं आपको भाभी के बारे में बता दूं. वो दिखने में ठीक – ठाक हैं. वो ज्यादा गोरी तो नहीं हैं, लेकिन उनके शरीर की बनावट ऐसी है कि बहुत से लड़के मेरे सामने उनके बारे में बोलते थे कि एक बार मिल जाए तो ऐसे चोदूंगा, वैसा करूंगा. लेकिन मैं भाभी पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था. इसकी एक वजह हमारे परिवार के बीच के अच्छे सम्बंध थे.

वैसे भाभी मुझसे बहुत मजाक करती थीं. मैंने कभी भी उनको परेशान नहीं देखा. भाभी भी अब शाम को अन्य औरतों के साथ गीतों के कार्यक्रम में आने लगी और उनके साथ नीलू भी आ रही थी. अब शादी में केवल चार दिन रह गए थे तो हमारी बुआ दादी (दादा की बहन) भी आ गईं. उस दिन शाम को कार्यक्रम के दौरान मैं अपनी दादी के पास खाट पर बैठ गया.

नीचे भाभी और बाकी की औरतें बैठी गीत गा रही थीं. मैं दादी के पास बैठा था. तभी मेरी नजर भाभी पर गई. वो बहुत सुन्दर लग रही थीं. मैने सोचा कि मेरे लंड को चूत चाहिए तो भाभी को पटाने की कोशिश करता हूँ. पट गई तो खूब प्यार देगी.

अब मैं भाभी की ओर देखता रहता और दादी बुआ से बात भी करता रहता था. मैंने देखा कि भाभी भी मेरे देखने का जवाब दे रही थीं. फिर मैं सोचा कि यह मेरा वहम है. फिर राम का नाम लेकर मैं भाभी की ओर देख कर मुस्कराया
तो भाभी भी हँसी दी.

यह देख कर मैं उत्तेजना से भर गया. अब उत्तेजना मुझ पर चढ़ने लगी. मैं सब कुछ भूल गया और आखिरकार मैंने भाभी को आँख मार दी. इससे भाभी थोड़ी शर्मा गयी, लेकिन वो फिर से मेरी ओर देखने लगी.

अब मैंने सोचा, “मैं साला वैसे ही आज तक डरता रहा. अगर थोड़ा दिल खोल लेता तो मेरे आगे चूतों की लाइन लग जाती.” फिर मैंने भाभी को इशारा किया कि बाहर आ जाओ और मैं उठ कर बाहर आ गया. थोड़ी देर में भाभी भी बाहर आ गईं.

अब मैंने भाभी को उनकी छत पर जाने का इशारा किया और मैं अपनी छत पर आ गया. भाभी तो जैसे तैयार थीं. वो तुरन्त छत पर आ गयी और एक तरफ बैठ गईं. मैं भी चारों तरफ देख कर उनकी छत पर चला गया.

वहां पहुंच कर बिन बोले ही मैंने भाभी के गाल पर पप्पी ले ली. तो भाभी बोली, “बड़े बेशर्म हो तुम, इसी काम के लिए बुलाया थी.” तो मैंने कहा, “भाभी, मेरा मन कर रहा था. तुम बहुत सुन्दर हो इसलिए मैं खुद को रोक नहीं पाया.”

फिर भाभी हँसी और बैठे – बैठे ही मुझे सीने से लगा लिया.
फिर तो आप सब जानते ही हैं कि क्या होगा! लेकिन उस दिन मैंने छत पर कुछ ज्यादा नहीं किया. बस भाभी ने एक बार चूसा और मुठ मार कर मेरा लंड शांत कर दिया.

आप सोचते होंगे कि ऐसा मौका हाथ से क्यों निकाल दिया? चूत क्यों नहीं ली उसकी? मित्रों मेरा मानना है कि सेक्स के लिए मन और तन दोनों का तैयार होना चाहिए. उसके बाद हमारे सम्बंध बन गए और हमने खूब मजे किए. मैंने उसे शहर ले जाकर होटल के कमरे में भी चोदा और घर और मौका मिलने घर पर भी चोदा. लेकिन दूसरों की इज्ज़त का पूरा ध्यान रखते हुए, मैंने ये बात लीक नहीं होने दी.

मेरी कहानी आपको कैसी लगी? मुझे मेल करके जरूर बताएं. मुझे आपकी प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा. मेरी मेल आईडी – sm115070@gmail.com और rajhooda48@gmail.com

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